Delhi: देश में बनेगा दुनिया का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे, हावड़ा ब्रिज से 50 गुना ज्यादा होगा स्टील का इस्तेमाल

दिल्ली : सड़क निर्माण के क्षेत्र में देश में लगातार नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं और देश में विभिन्न नेशनल हाईवे के साथ एक्सप्रेस-वे बनाने का भी कार्य चल रहा है. यूं तो देश में कई एक्सप्रेस वे निर्माणाधीन है.

लेकिन दिल्ली से मुंबई के बीच बनने वाला एक्सप्रेसवे सबसे बड़ा एक्सप्रेसवे होगा. वैसे तो दुनिया में और भी कई लंबी सड़के हैं लेकिन इतना बड़ा एक्सप्रेस वे कोई भी नहीं है. इस लिहाज से यह दुनिया का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा जो कि देश की राजधानी दिल्ली को आर्थिक राजधानी से जोड़ेगा.

बता दें कि दिल्ली और मुंबई की कनेक्टिविटी को बेहतर करने के साथ ही साथ यह 6 राज्यों दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से गुजरेगा. ऐसे में इनके बीच पड़ने वाले शहरों की कनेक्टिविटी भी बेहतर होगी.

दिल्ली मुंबई के अलावा इन शहरों की कनेक्टिविटी होगी बेहतर

ये एक्सप्रेसवे दिल्ली फरीदाबाद सोहाना खंड के कॉरिडोर के साथ ही साथ जेवर एयरपोर्ट और मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट को एक छोटे संपर्क मार्ग के माध्यम से जोड़ेगा. और इससे जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, कोटा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, अहमदाबाद, बड़ोदरा और सूरत जैसे आर्थिक केंद्रों की कनेक्टिविटी बेहतर होगी.

अब यात्रा होगी आधे समय में पूरी

इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि दिल्ली और मुंबई के बीच का सफर महज 12 घंटों में ही सिमट जाएगा. जबकि वर्तमान समय में इन दोनों शहरों के बीच यात्रा करने में तकरीबन 24 घंटे का समय लगता है. इस पर औसतन 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गाड़ियां दौड़ सकेंगी.

पर्यावरण को बेहतर बनाने में कारगर

इसके साथ ही निर्माण कार्य पूरा होने पर यहां ईंधन की खपत में 32 करोड़ लीटर की कमी आने का अनुमान है. इसके साथ ही यहां हानिकारक कार्बन डाइऑक्साइड गैस के उत्सर्जन में 85 करोड़ किलोग्राम की कमी आएगी जो तकरीबन 4 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है.

कितनी आएगी लागत?

अब अगर इसमें इस्तेमाल होने वाले निर्माण सामान की बात करें तो इसके लिए 12 लाख टन स्टील का इस्तेमाल होगा जो 50 हावड़ा ब्रिज बनाने के बराबर है. इसके साथ ही इसमें 35 करोड़ क्यूबिक मीटर मिट्टी और 80 लाख टन सीमेंट का इस्तेमाल होगा. यह सीमेंट देश की सालाना उत्पादन क्षमता के 2 फ़ीसदी के बराबर है. वहीं इसकी निर्माण में लागत में तकरीबन 1 लाख करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान है.

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