कूनो नेशनल पार्क में लाए गए अफ्रीकी चीतों का यूं बढ़ेगा परिवार; कब मिलेगी खुशखबरी?

New Delhi, Kuno National Park:— हमारे देश में पिछले 70 सालों से कोई भी चीते नहीं थे. जिसके चलते हाल ही में कूनो नेशनल पार्क में आठ अफ्रीकन चीते लाए गए हैं. बता दें कि इनमें से 3 नर और 5 मादा चीता है. इन लाने का सबसे मुख्य उद्देश्य यही है कि देश में चीतों की संख्या में बढ़ोतरी की जा सके.

ऐसे में अब यह देखना बाकी होगा कि इन चीतों के परिवार में नया मेहमान कब आता है? और किस प्रकार से इनका परिवार बढ़ता है ? क्या भारत की जलवायु इतनी प्रबल होगी इन चीतों का परिवार तेजी से बढ़ सके? तो आइए जानते हैं इस विषय में वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स की राय.

वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स के मुताबिक चीते पैदा होने के तकरीबन 2 साल के बाद ही संभोग अर्थात् शारीरिक संबंध के लिए तैयार हो जाते हैं. कुछ चीतें तो डेढ़ साल में ही इसके लिए परिपक्व हो जाते हैं. अब कूनो नेशनल पार्क में जो अफ्रीकन चीते लाए गए हैं उनके साथ भी यही मामला है. साथ ही इनकी ब्रीडिंग भी साल भर चलती है. अर्थात् यदि परिस्थितियां ठीक रहती है तो नर और मादा चीते किसी भी वक्त आपसी संबंध बनाकर प्रजनन कर सकते हैं.

इस विषय में वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट डॉ सुदेश वाघमारे कहते हैं कि देश में कई सालों से चीते नहीं थे इसलिए इनके प्रजनन को लेकर कोई भी बेहतर स्टडी नहीं है और स्टडी की भी नहीं गई है. वहीं जहां से इन चीतों को लाया है वे देश पिछड़े हैं. इसीलिए इन पर ज्यादा स्टडी नहीं कर पाते हैं.

लेकिन स्टडीज के मुताबिक चीते और तेंदुए जैसे जानवर लिटर करते हैं. यानी एक साथ दो से चार शावकों को पैदा करते हैं. लेकिन इनमें से यह कह पाना मुश्किल होता है कि कितने शावक बच सकेंगे? क्योंकि इनका सबसे बड़ा दुश्मन इनका पिता ही होता है. इसीलिए मादा चीता हमेशा अपने नवजात शावकों के पास होती है.

डॉ वाघमारे कहते हैं कि नर चीता यह पसंद नहीं करता की मादा चीता गर्भ धारण करके शावक पैदा करें. नर चीता केवल संबंध बनाता है. उसे परिवार और शावकों के ख्याल आदि से मतलब नहीं होता और उसमें यह भावनाएं भी नहीं होती. वहीं माता चीता की यह खासियत होती है कि अगर वह गर्भवती है तो वह संबंध नहीं बनाती है. उसे शावकों के बाद अन्य किसी भी चीज के लिए समय नहीं मिलता है. इसीलिए कई बार नर चीते अपने शावकों को मार डालते हैं. ताकि मादा चीता के साथ संबंध बनाए जा सके.

मादा खुद फैसला ले सकती है शावकों को जन्म देने का !

इस विषय में विस्तार से बातचीत करते हुए डॉ सुदेश वाघमारे बताते हैं कि माता चीता को प्रकृति द्वारा एक अद्भुत शक्ति प्राप्त है. जिसके जरिए वह फैसला ले सकती है कि वह गर्भ धारण करती है या नहीं. यदि उसे आसपास की परिस्थितियां अनुकूल नहीं लगती है तो वह गर्भधारण नहीं करती है. जैसे कि अगर अफ्रीकन मादा चीता को कूनो नेशनल पार्क की परिस्थितियां अनुकूल नहीं लगती है तो वह शावक पैदा नहीं करेगी.

मादा चीता किसी भी जलवायु में अनुकूल होने के लिए कम से कम 6 महीने तक माहौल को समझने का प्रयास करती है. उदाहरण के तौर पर जैसे इससे पहले भी जामनगर चिड़ियाघर में तीन चीते मंगवाए गए थे. लेकिन वहां मादा ने गर्भधारण नहीं किया. क्योंकि उसे अपने अनुकूल परिस्थितियां नहीं मिली. अगर यही परिस्थिति कूनो नेशनल पार्क में बनी रहती है तो मादा चीता प्रजनन नहीं करेगी.

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