खुशखबरी: यमुना नदी पर बनने जा रहा है मेट्रो का सबसे खास पुल, जानें क्या होंगी इस पुल की खूबियां?

New Delhi ; River Yamuna Bridge: दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन अपने मेट्रो तंत्र में विस्तार करते हुए यमुना नदी पर एक और नया पुल तैयार कर रही है. हालांकि बोर्ड ने इससे पहले भी नदी पर चार पुल बना रखे हैं ऐसे में यह पांचवां पुल है जो निर्माणाधीन है. बता दें कि इन पुल का निर्माण फेज 3 में मजलिस पार्क से शिव विहार के बीच बनाई जा रही मेट्रो की सबसे लंबी लाइन अर्थात् पिंक लाइन को फेज 4 में बढ़ाया जा रहा है.

और इसी विकास कार्य के तहत मजलिस पार्क से मौजपुर तक एक नया मेट्रो कॉरिडोर तैयार किया जा रहा है. इसी विस्तार कार्यक्रम हेतु यह कार्य करवाया जा रहा है क्योंकि सूर घाट और सोनिया विहार के मेट्रो स्टेशन के बीच यमुना नदी पड़ती है इसके चलते मेट्रो को यहां से रास्ता देने के लिए नदी पर नया पुल तैयार करवाया जाना आवश्यक है.

लेकिन यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह पुल चर्चा का विषय क्यों बना हुआ है ? बता दें कि इस पुल का चर्चा का विषय बनना लाजमी है क्योंकि डीएमआरसी पहली बार एक विशेष तकनीक के द्वारा इस पुल का निर्माण करवा रही है. वर्तमान समय में यमुना नदी पर मेट्रो के जो चार पुल बनाए गए हैं उन्हें दो अलग-अलग तकनीकों से बनवाया गया है और यमुना पर मेट्रो का यह पहला पुल होगा जो सबसे अलग तकनीक द्वारा तैयार करवाया जा रहा है. बता दें कि इस नए प्रोजेक्ट को CLC अर्थात केंटिलीवर तकनीक से बनाया जा रहा है और यह बेहद फायदेमंद है.

क्या है इस विशेष तकनीक के फायदे ?

इस विषय में प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों ने कहा है कि इस तकनीक को प्रयोग करने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि यहां नदी के बहाव पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा और मेट्रो लाइन को आसानी से नदी के आर-पार पहुंचाया जा सकेगा.

क्या है इस तकनीक में खासियत?

क्योंकि इस तकनीक में बेहद कम पिलर का प्रयोग किया जाता है. अगर यह पुरानी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता तो कम से कम यहां 20 पुल का निर्माण कराया जाना आवश्यक था. ऐसे में साफ जाहिर है कि इसे नदी के बहाव पर प्रभाव पड़ता क्योंकि पुराने जो पुल बनाए गए हैं उनमें यह समस्या देखी गई है.

परंतु इस तकनीक के तहत केवल 9 पिलर के जरिए ही सारे ब्रिज का काम पूरा हो जाएगा. केवल इतना ही नहीं यहां 9 में से केवल दो पिलर ही नदी के मुख्य बहाव क्षेत्र में होंगे. बाकी अन्य 7 पिलर आसपास के डूब क्षेत्र में होने के चलते बहाव को बिल्कुल भी प्रभाव नहीं होगा.

यमुना की दुर्गति !

गौरतलब है कि दिल्ली क्षेत्र में प्रवेश करने के साथ ही यमुना नदी की बेहद दुर्गति हो चुकी है और यहां पर यमुना नदी ना होकर एक नाले के रूप में शेष है. जिसमें गंदगी की भरमार है. नदी के विषय पर ना तो यहां के निवासियों को कोई फिक्र है और ना ही सरकार इसकी सुध लेने की आवश्यकता समझती है. ऐसे में यदि नदी का संरक्षण किया जाना है तो अवश्य ही इसके लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे अन्यथा कुछ ही सालों में यमुना पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी.

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