भारतीय रेलवे ने लिया यह बड़ा फैसला, राजधानी, दुरंतो और शताब्दी जैसी प्रीमियम ट्रेन में लगेगा किराया कम

कोराना काल के पश्चात दुनिया भर में सभी चीजों पर अच्छा-खासा प्रभाव पड़ा है. जिसका असर चारों तरफ देखा जा सकता है. लेकिन इसका सबसे अहम प्रभाव भारतीय रेलवे पर भी पड़ा है. जिसके चलते रेलवे को कई प्रकार की पाबंदियां लगानी पड़ी और महीनों तक पटरियों पर किसी भी प्रकार की रेल भी नहीं दौड़ी.

कई ट्रेनों को तो रद्द भी कर दिया गया और कई ट्रेनों में विभिन्न प्रकार की सुविधाएं जोड़ी और घटाई गई. लेकिन अब रेलवे अपनी पुरानी पटरी पर वापस आ रहा है और पाबंदियां हटाने के साथ ही साथ कई दूसरी ट्रेनों को भी दोबारा शुरू करने का प्रयास कर रहा है.

हालांकि इसके बावजूद भी लोगों को कोरोना से पहले वाली अपनी कई रियासतें मिलना शुरू नहीं हुई है. इसके अलावा यात्रियों की संख्या में भी कमी देखी गई है. लेकिन ऐसा देखा गया है कि खासकर कुछ प्रीमीयम ट्रेन में लोग यात्रा बेहद काम कर रहे हैं. यही वजह है कि राजधानी, दुरंतो और शताब्दी जैसी ट्रेनों में यात्री भार में कमी देखी जा रही है.

इसी के चलते अब रेलवे इन ट्रेनों का किराया कम करने का मन बना रही है. इसकी एक वजह यह भी है कि कोरोना के समय संक्रमण की रोकथाम हेतु रेलवे ने तमाम नियम लगाए थे. रेलवे ने जनरल टिकट से यात्रा करना, टिकट को वेटिंग रखना और वेटिंग टिकट पर यात्रा करना तथा प्लेटफार्म टिकट आदि संबंधित बड़े बदलाव किए थे. लेकिन अब यात्रीगण उन बदलावों में वापस बदलाव चाहते हैं.

फ्लेक्सी फेयर पॉलिसी होगी वापस

इस विषय में रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि वर्तमान में सरकार की फ्लेक्सी फेयर पॉलिसी को वापस लेने की कोई योजना नहीं थी. ट्रेन का डायनेमिक टैरिफ सिस्टम एक ऐसी प्रणाली है जिसमें किराया मांग के अनुसार निर्धारित किया जाता है. नीचे 10% सीटों के आदेश के साथ टैरिफ 10% तक बढ़ जाता है.

लेकिन जब सीटें कम हो जाती है तो दरें बढ़ जाती है. यह प्रणाली राजधानी, शताब्दी और दूरंतो जैसी गाड़ियों में लागू होती है. यह प्रणाली 9 सितंबर 2016 को लागू की गई थी. इसी वजह से कई मार्गो पर ट्रेन की लागत विमान से अधिक बढ़ गई और यही कारण है कि लोग रेल के बजाय विमान से यात्रा करने लगे हैं.

रेल मंत्री ने कहा कि कोरोना से पहले की अवधि में फ्लैक्स दर प्रणाली में यात्रियों और ट्रेन की आय गैर फ्लेक्सी से अधिक बढ़ गई. वर्तमान में इस सरकारी नीति को आकर्षित करने की कोई योजना नहीं है. उन्होंने कहा कि ट्रेन और एयरलाइन परिवहन में दो अलग-अलग फैशन थे. उनकी तुलना वॉल्यूम कनेक्टिविटी और आराम के संदर्भ में नहीं की जा सकती.

एयरलाइन में कोई अधिकतम टैरिफ सीमा नहीं है. जबकि रेलवे ने पूरे वर्ष में अधिकतम टैरिफ में सुधार किया है. एयरलाइन कई कारकों पर निर्भर करती है. लेकिन ट्रेन का किराया एयरलाइंस की तुलना में कम या ज्यादा हो सकता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस श्रेणी की यात्रा करते हैं ! लेकिन अभी यात्रियों को तय करना होगा कि उन्हें ट्रेन से यात्रा करनी है या नहीं.

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