महंगाई के दौर में और महँगी हुई चीज़ें, पटाखों के दाम बढ़े 60% तक, अब दुगनी रेट पर मिलेगा माल

नई दिल्ली : कुछ ही समय बाद दिवाली और अन्य कई पर्व आने को है. ऐसे में आतिशबाजी का दौर भी शुरू हो जाएगा. वैसे तो हर फेस्टिवल सीजन में लोगों को आतिशबाजी करने का खासा शौक होता है लेकिन इस बार आतिशबाजी करना आपके लिए थोड़ा सा महंगा सौदा होगा. क्योंकि अन्य चीजों की कीमतों की तरह ही अब पटाखों की कीमत में भी 60 फ़ीसदी तक की बढ़ोतरी देखी जा रही है, और यह आगे और बढ़ने की संभावना भी है.

पटाखों में हो रही अचानक इस बड़ी वृद्धि के बाद डीलर के साथ खरीदार भी खासे परेशान हैं जिससे बड़ा को का बाजार मंदा होने की संभावना दिख रही है. जैसा कि हम सभी जानते हैं दिवाली में अब कुछ ही दिन शेष है ऐसे में खुदरा विक्रेता पटाखों की खरीदारी करने में जुटे हैं.

लेकिन इस बार दीपावली को आतिशबाजी करना थोड़ा सा महंगा पड़ेगा. लिहाजा अनुमान लगाया जा रहा है कि पटाखों का बाजार इस बार मंहगा रह सकता है. कोरोनावायरस के बाद यह पहली दीपावली होगी जब हम आराम से आतिशबाजी कर सकेंगे और इस बार पटाखों के दाम बढ़े हुए नजर आ रहे हैं जिससे डीलर काफी परेशानी महसूस कर रहे हैं.

पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने से महंगे हुए हैं पटाखे?

कुछ डीलर की मानें तो डीजल और पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमतों के कारण माल ढुलाई काफी मंहगी हो गई है. इसका असर सीधे तौर पर विभिन्न उत्पादों पर देखने को मिल रहा है. इसके साथ ही पेट्रोकेमिकल बढ़ने से पटाखों के दाम में वृद्धि देखी गई है. इसी तर्ज पर पटाखों में प्रयोग होने वाला गत्ता भी काफी महंगा हो चुका है जिससे पटाखें बेहद महंगे हो चुके हैं.

पटाखों के एक थोक विक्रेता की राय

वही पटाखों के एक थोक विक्रेता राजेश कुमार का कहना है कि इस बार पटाखों की रेट में 50 से 60% तक की वृद्धि देखी गई है. पटाखों की दुकानदारी तो शुरू हो चुकी है लेकिन इस बार पहले के मुकाबले कारोबार मंदा प्रतीत हो रहा है. यह पेट्रोकेमिकल गत्ता और डीजल महंगा होने की वजह से हुआ है. इस बार सफेद केमिकल से बन रहे पटाखे भी ज्यादा महंगे प्रतीत हो रहे हैं. और इसका असर अन्य पटाखों पर भी अवश्य पड़ेगा.

आतिशबाजी से प्रदूषण कम करने हेतु उठाए गए हैं विभिन्न कदम

वहीं बता दें कि इस बार दीपावली पर होने वाली आतिशबाजी से ज्यादा धुंआ नहीं हो इस हेतु फुलझड़ी और चकरी को बनाने में कम केमिकल का इस्तेमाल किया गया है. यह भी एक वजह है कि पटाखे पहले के मुकाबले ज्यादा महंगे हो चुके हैं. क्योंकि यह पहला मौका है जब पटाखे पहले के मुकाबले कम धुंआ करेंगे और कम आवाज करेंगे.

जिसकी वजह से इनकी निर्माण लागत में बढ़ोतरी हुई है. इस वर्ष ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि बार-बार कोर्ट के विभिन्न आदेशों और पर्यावरण में बढ़ती समस्याओं के चलते लोग गहरे शोर-शराबे वाले पटाखे खरीदने में कम दिलचस्पी ले रहे हैं.

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