स्टेट बैंक को छोड़कर सभी सरकारी बैंक अब होंगे प्राइवेट हाथों में! सामने आया ये बड़ा अपडेट

New Delhi, Bank Privatization:— देशभर में कई सरकारी संपत्तियों का अब तक निजी करण किया जा चुका है और सरकार अब भी थमने का नाम नहीं ले रही है. और विभिन्न सरकारी संपत्तियों का तेजी से निजीकरण कर रही है. जिसके चलते अक्सर विरोध भी देखा जाता है. लेकिन विरोध को दरकिनार करते हुए यह प्रक्रिया लगातार चालू है.

यूं तो अब तक विभिन्न एयरलाइन, एयरपोर्ट, हॉस्पिटल, रेल और बैंकों का निजीकरण किया जा चुका है और यह प्रक्रिया अभी भी चालू है. इसी कड़ी में हाल ही में यह खबर भी सामने आई है कि सरकार अब दो अन्य सरकारी बैंकों का भी निजीकरण करने जा रही है. जिसकी पूरी तैयारी भी हो चुकी है.

इस हेतु कयास लगाए जा रहे हैं कि अब एक महीने के भीतर ही इसकी प्रक्रिया भी पूरी हो जाएंगी. जिसके चलते कई सरकारी कर्मचारी इसका लगातार विरोध कर रहे हैं. वहीं इस बीच देश के दो प्रमुख अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारत सरकार को स्टेट बैंक को छोड़कर सभी सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन कर देना चाहिए.

जहां एक तरफ विरोध हो रहा है वहीं प्रमुख अर्थशास्त्रियों का निजीकरण के समर्थन में उतरना वाकई एक आश्चर्यजनक बात है. तो आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से.

सभी बैंकों का होना चाहिए निजीकरण ?

नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अरविंद पनगढ़िया और एनसीएईआर की डायरेक्टर जनरल और प्रधानमंत्री को आर्थिक विषयों पर सलाह देने वाली परिषद की सदस्य पूनम गुप्ता ने सरकार को यह बड़ी सलाह दी है.

इंडिया पॉलिसी फोरम में यहां पर पनगढ़िया और गुप्ता ने एक पॉलिसी पेपर में कहा है कि सरकारी बैंकों का निजीकरण हित में है और अधिकतर बैंकों के प्राइवेट सेक्टर में जाने से भारतीय रिजर्व बैंक पर दबाव बढ़ेगा. कि वह पूरी प्रक्रिया, नियम और कानूनों को सुव्यवस्थित करें. और इस का अच्छा नतीजा निकल सकता है. इसके पीछे के स्पष्ट कारण अभी तक के सामने नहीं आए हैं लेकिन इसका जमकर विरोध हो रहा है. ऐसे में अर्थशास्त्रियों का कहना यह सोचने वाली बात है.

लेकिन कई रिपोर्ट्स का यह दावा है कि सरकार भी इस सलाह पर अमल कर रही है और स्टेट बैंक को छोड़ते हुए कई बैंकों का निजीकरण करने की तैयारी कर ली गई है. जो कि संभावित कुछ समय में होनी है.

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