दिल्ली नोएडा: पति ने छोड़ा साथ, तो बच्चे को सीने से बांधकर चलाती है ई रिक्शा
दिल्ली एनसीआर / नोएडा:— जीवन कभी कबार किसी व्यक्ति के साथ ऐसा अन्याय कर देता है कि उसे कड़ाके की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. ऐसी कठिन परीक्षा में अधिकतर लोग अपने घुटने टेक देते हैं. लेकिन कुछ ऐसे महाबली भी होते हैं जो हर मुश्किल का डटकर सामना करते हैं और मेहनत की बदौलत सरवाइव कर पाते हैं.
खासकर जब बात महिलाओं की हो तो अधिकतर महिलाएं किसी अन्याय अथवा मुसीबत की स्थिति में दूसरों पर निर्भर हो जाती है. लेकिन अगर वह मजबूती से चले तो मुसीबतों का हर पहाड़ पार किया जा सकता है.
अपनी बातों को सच करता हुआ एक उदाहरण आज हम आपको बताने जा रहे हैं जिसमें इस महिला हीरों ने जीवन के हर अन्याय के सामने ऐसा युद्ध किया कि आज वह मिसाल बन चुकी है.
यह कहानी है उत्तर प्रदेश की रहने वाली चंचल शर्मा की जो नोएडा की सड़कों पर अपने 1 साल के बच्चे के साथ ई-रिक्शा चलाती है और अपना गुजर-बसर करती है. चंचल शर्मा मुख्य रूप से नोएडा के जिला गौतम बुध नगर की सड़कों पर काम करती है. जहां वह अपनी मां के साथ रहती है क्योंकि पति ने उसका साथ छोड़ दिया है.
यही नहीं उसकी मां सब्जी बेचने का काम करती है. इस हेतु वह बच्चे की देखभाल नहीं कर पाती और यही कारण है कि वह रिक्शा चलाते समय भी अपने 1 साल के छोटे बेटे को साथ ले जाती है.
चंचल का कहना है कि यह सफर उसके लिए आसान नहीं है. लेकिन घर चलाने के लिए उनके पास कोई दूसरा चारा भी नहीं है. पहले वह बच्चे को अपनी मां और बहन के पास छोड़ देती थी. लेकिन हमेशा हमेशा यह संभव नहीं हो पाता. इसलिए अब वह कभी कभार ही अपने बच्चे को मां के पास छोड़ती है और हमेशा अपने बच्चे को अपने साथ ही रखती है.
गर्मियों के दिनों में बच्चा बेहाल
इस दरमियान चंचल में गर्मी के दिनों को याद करते हुए कहा कि गर्मी ने उस बच्चे पर भारी असर डाला और जैसे ही वह गाड़ी चलाती थी वह रोता रहता था. ऐसी स्थिति में उसे बेहद दुख होता लेकिन दूसरा क्या कीजिए ?
कमाई का आधा हिस्सा चला जाता है कर्ज चुकाने में
चंचल आगे कहती है कि वह रोजाना तकरीबन 600–700 रुपए की कमाई करती है. लेकिन कमाई का आधा हिस्सा वह ई रिक्शा खरीदने के दौरान लिए गए कर्ज को चुकाने में खर्च कर देती है. वह हमेशा अपने बच्चे के लिए दूध की बोतल साथ में रखती है और उसे बीच-बीच में संभालती रहती है. लेकिन फिर भी इस छोटे से बच्चे को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.