दिल्ली में यहां देखें रामानंद सागर की रामलीला ; पर्दे पर खूबसूरती से उकेरे जाते हैं सभी 10 अध्याय
नई दिल्ली : भारतीय संस्कृति में रामलीला और श्री राम की जीवन कथा का जो महत्व है उस का पर्याय अन्य कुछ भी नहीं हो सकता. यूं तो आपने अब तक कई प्रकार की रामलीला नुक्कड़ नाटकों में देखी होगी. लेकिन दिल्ली में श्री सनातन धर्म रामलीला कमेटी की तरफ से आयोजित होने वाली रामलीला का विशेष महत्व है जो कई वर्षों से पर्दे पर लगातार दिखाई जा रही है.
यह पश्चिमी दिल्ली की एकमात्र रामलीला में से एक है जो अभी भी पुरानी पद्धति को निभाते हुए पर्दे पर रामायण के विभिन्न अध्याय दिखाती है. हालांकि कोरोना काल के समय तकरीबन 2 वर्षों तक इस रामलीला का कार्य रुक गया था लेकिन अब एक बार फिर पर्दे पर निर्देशक रामानंद सागर द्वारा निर्देशित रामायण को देखने हेतु दर्शक काफी उत्साहित है.
कई सालों से सब की फेवरेट बनी हुई है यह रामलीला
इस विषय में कमेटी के महासचिव गौरव जैन कहते हैं कि कीर्ति नगर में टैगोर गार्डन के पास यह तकरीबन 1995 से आयोजित किया जा रहा है. ऐसे में तकरीबन 27 वर्षों से लगातार यह रामलीला दर्शकों की फेवरेट बनी हुई है. बता दें कि दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में मंच कलाकारों द्वारा रामलीला का मंचन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. और पिछले कुछ वर्षों में आयोजनों की संख्या में भी खासा इजाफा हुआ है. लेकिन दर्शकों को जो जुड़ाव आनंद और रामानंद सागर निर्देशित रामायण के साथ है वैसा कहीं भी नहीं है.
2 साल बाद सबसे खास अनुभव
इस विषय में अपना अनुभव बताते हुए गौरव जैन कहते हैं कि कमेटी की तरफ से दो बार कलाकारों के साथ मिलकर मंच पर रामलीला मंचन के आयोजन का प्रयास किया गया था. लेकिन वह उतना सफल नहीं हो सका. यहां सबसे खास बात यह है कि इस पर्दे पर रामायण लोगों को पुरानी यादों से जुड़ने और उन्हें याद करने का एक अच्छा अवसर मिलता है. पर्दे पर रामलीला से दर्शकों को जोड़े रखने के लिए झांकियों का विशेष प्रबंध भी किया जाता है.
दशहरे पर होता है विधि विधान से रावण, मेघनाथ और कुंभकरण का दहन
वहीं इसके साथ दशहरे पर रावण, मेघनाद और कुंभकरण का दहन भी किया जाता है जो कि रामलीला की ख्याति को पूरा करता है. इस विषय में गौरव कहते हैं कि कीर्ति नगर में 10 फीट का यहां परदा लगाया जाता है. जिस पर प्रोजेक्टर की सहायता से रामायण के सभी अध्यायों को 10 दिनों के दरमियान दिखाया जाता है.