दिल्ली AIIMS का नाम बदलने को लेकर मचा बवाल
नई दिल्ली : भारत के विशेष गौरव में से एक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान अर्थात् एम्स का नाम बदलने की तैयारी की जा रही है. जिसके बाद नाम बदलने के प्रस्ताव का संस्थान के फैकल्टी एसोसिएशन ने खूब विरोध किया है. और इस क्रम में फैकल्टी एसोसिएशन ने एम्स के सभी फैकल्टी को पत्र लिखकर संस्थान का नाम बदलने को लेकर केंद्र सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ आवाज उठाई है.
एसोसिएशन ने अपने पत्र में कहा है कि एम्स न केवल एक नाम है बल्कि इस संस्थान की पहचान है. इसके नाम में किसी भी तरह के परिवर्तन से एम्स की पहचान प्रभावित होती है. एसोसिएशन के संस्थान के सभी फैकल्टी ने इस मामले में 2 दिन में प्रतिक्रिया मांगी है. इसके बाद ही अगला कदम उठाए जाने की तैयारी है.
एसोसिएशन अपने पत्र में यह भी कहा है कि दिल्ली एम्स की स्थापना मेडिकल शिक्षा, रिसर्च और चिकित्सा के बेहतर प्रदर्शन के लिए हुई थी. और एम्स समस्त मकसद में काफी हद तक सफल रहा है. यही वजह है कि एम्स का नेशनल इंस्टिट्यूशन रैंकिंग फ्रेम वर्क में चिकित्सा संस्थानों की श्रेणी में लगातार शीर्ष स्थान पर नाम बरकरार है.
गौरतलब है कि देश के सभी शिक्षण संस्थानों की श्रेणी में कुछ आईआईटी और भारतीय विज्ञान संस्थान के बाद एम्स शीर्ष 10 बेहतर संस्थानों की श्रेणी में शामिल है. और अन्य संस्थानों के फैकल्टी अपना पूरा समय शिक्षण और रिसर्च में लगाते हैं. जबकि एम्स में मेडिकल और रिसर्च के अलावा भी मरीजों का इलाज का भी भारी दबाव है.
और चिकित्सा शोध के मामले में भी एम्स का देश में अग्रणी स्थान है. ऐसे में इसका नाम बदला जाना किसी भी प्रकार से एक सही कदम नहीं कहा जा सकता. क्योंकि ऐसा करने से इसकी पहचान प्रभावित हो सकती है और इससे जुड़े लोगों की सालों की मेहनत में कुछ प्रभाव भी पड़ सकता है.
क्योंकि एम्स की पहचान चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने और इससे जुड़े कई विकसित मामलों के रूप में दुनिया के 10 सबसे अच्छे संस्थानों में गिनती हो चुकी है. और किसी भी संस्थान की पहचान हमेशा उसके नाम से जुड़ी होती है.
ऑक्सफोर्ड, कैंब्रिज और हार्वड ने नहीं बदला नाम ?
यही कारण है कि ऑक्सफोर्ड, कैंब्रिज और हावर्ड यूनिवर्सिटी जैसे पॉपुलर कई संस्थानों ने सैकड़ों सालों में अपने नाम नहीं बदले हैं. और भारत के आईआईटी और एम्स भी विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं. ऐसे में इनके नामों में फेरबदल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संस्थान की पहचान प्रभावित कर सकती है.